Sunday, August 7, 2022

सफलता का नियम ( Role of Success)

 

सफलता का नियम


क्या कोई ऐसी शक्ति है जो संपन्नता के गुप्त मार्गों को प्रकट कर सकें और धन के 1 भंडारों को मेरा व्रत कर सके जिन के विषय में हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा? क्या कोई ऐसी शक्ति है जिसके सहारे हमें स्वास्थ्य सुख और अध्यात्मिक ज्ञान मिल सके? भारत के संत और ऋषि शिक्षा देते हैं की ऐसी शक्ति है। उन्होंने ऐसे सत्य सिद्धांतों की क्षमता का प्रदर्शन किया है जो आपके लिए भी उपयोगी होंगे यदि आप उनका उचित परीक्षण करें।
जीवन में सफलता आपकी योग्यता एवं प्रशिक्षण पर ही पूर्णता निर्भर नहीं करती बल्कि जीवन में आने वाले अवसरों का सदुपयोग करने वाले आपके दृढ़ निश्चय पर भी निर्भर करती है। शुभ अवसर जीवन में अनायास नहीं, सृजन करने से आते हैं। मैं सभी अवसर जो आपके मार्ग में आते हैं उन्हें वर्तमान या भूतकाल में आपने स्वयं रचे हैं। क्योंकि आपने उन्हें अर्जित किया है अतः उनसे पूरा परा लाभ उठाइए।
मार्ग की बाधाओं पर विजय प्राप्त करने के लिए यदि आप सभी उपलब्ध वाह साधनों के साथ-साथ अपनी स्वभाविक योग्यताओं का भी उपयोग करते हैं तो आप ईश्वर प्रदत्त और असीमित शक्तियों का विकास करेंगे जो आपके व्यक्तित्व के अंतरतम बलों से प्रभावित होती हैं। आप विचार शक्ति एवं इच्छा शक्ति से संपन्न है। देवीय उपहारों का अधिकतम सदुपयोग करें।

विचार की शक्ति

    आप अपनी स्वाभाविक विचारधारा के अनुसार सफलता या असफलता प्रदर्शित करते हैं आपके भीतर कौन से विचार अधिक सशक्त हैं सफलता के विचार या असफलता के विचार?
  यदि आप की मानसिक दशा सामान्यता नकारात्मक है तब यदा-कदा आने वाला सकारात्मक विचार सफलता को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। परंतु यदि आपकी विचार कर डाली ठीक है तो भले ही अंधकार आपको घेरता सा लगे, आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।
      केवल आप स्वयं ही अपने लिए उत्तरदाई हैं। अंतिम निर्णय के दिन कोई अन्य व्यक्ति आपके कर्मों के लिए उत्तरदाई नहीं होगा। इस संसार में उस क्षेत्र में जहां आप अपने पूर्व क्रमानुसार स्थित हैं आपके कार्य को पूर्ण करने वाला केवल एक व्यक्ति है ' आप स्वयं'। आपके कार्य को सफलता की संज्ञा तभी दी जा सकती है जब किसी ना किसी रूप में उससे जनमानस की सेवा होती हो।
      किसी समस्या का मानसिक पुनरावलोकन निरंतर ना करें बीच-बीच में उसे विश्राम दें और वह स्वयं हल होकर उबरने लगेगी परंतु इसका ध्यान रहे कि विश्राम इतना लंबा ना हो जाए कि आपका विवेक खो जाए। बल्कि इन विश्राम के क्षणों का प्रयोग अपनी अंतरात्मा के शांत क्षेत्रों की गहराइयों में उतरने के लिए करें। अपनी आत्मा से 1 रूपों कर आप अपने कार्य के संबंध में सही चिंतन करने के योग्य हो जाएंगे और यदि आप अपने विचारों अथवा कार्यों में भटक गए हैं तो उन्हें पुनर व्यवस्थित किया जा सकता है। आत्मा से एकरूपता का यह देवी शक्ति अभ्यास एवं प्रयास से उपलब्ध की जा सकती है।

इच्छा शक्ति - उत्पादक है 

      सफल होने के लिए सकारात्मक चिंतन के साथ-साथ आपको अपनी इच्छा शक्ति एवं सतत कार्य से लता का प्रयोग करते रहना चाहिए।
  प्रत्येक बाह्य अभिव्यक्ति इच्छाशक्ति का ही परिणाम है, लेकिन इस इच्छा शक्ति का प्रयोग सदैव चेतन रूप से नहीं किया जा सकता है। इच्छा शक्ति यंत्र वक्त और चेतन दोनों रूपों में होती है। आपकी समस्त शक्तियों का स्रोत इच्छा शक्ति ही है इच्छा शक्ति के बिना आप चलना, बात करना, काम करना, चिंतन अथवा अनुभव करना आदि कुछ भी नहीं कर सकते। अतः आप के समस्त कार्यों का स्रोत इच्छाशक्ति ही है।
       बिना सोचे विचारे प्रयोग करने पर हमारी इच्छा शक्ति यंत्रवत कहलाती है। संकल्प और प्रयास से युक्त चेतन इच्छाशक्ति एक सजीव सकती है; एक डायनामो है जिसका निर्देशन विवेकपूर्ण ढंग से होना चाहिए जब यंत्रवत इच्छा शक्ति के बदले चेतन इच्छा शक्ति के प्रयोग में आप अपने को प्रशिक्षित करना प्रारंभ करें तब आप इस संबंध में भी आश्वस्त हो लें कि आपकी इच्छा शक्ति का प्रयोग रचनात्मक रूप में हो रहा है ना कि हानिकारक उद्देश्यों के लिए अथवा व्यर्थ के संग्रह हेतु।
      क्रियात्मक इच्छाशक्ति के सृजन हेतु जीवन के कुछ ऐसे कार्यों को करने का दृढ़ता पूर्वक निश्चय कीजिए जिनके संबंध में आपका विचार रहा हो कि आप उन्हें नहीं कर सकते। जैसे-जैसे आपका विश्वास दृढ़ होता जाए और आपकी इच्छा शक्ति अधिक क्रियात्मक बन जाए आप और कठिन उपलब्धियों को लक्ष्य बना सकते हैं इस संबंध में निश्चित हो लीजिए कि कार्यों का आपने सही चुनाव किया है फिर असफलता को स्वीकार करने से इंकार कर दीजिए अपनी संपूर्ण इच्छाशक्ति को एक समय में एक ही काम में सिद्धहस्त होने के लिए लगाएं अपनी इच्छा शक्तियों को बिखरने नहीं दें और ना ही नए कार्य को प्रारंभ करने के विचार से किसी कार्य को अधूरा छोड़ें।
     

          यदि आपने अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत बना लिया तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।

Monday, August 1, 2022

चिन्ता - मुक्त जीवन

 चिन्ता - मुक्त जीवन

द्वारा

श्री श्री परमहंस योगानंद 

अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के एंसिनिटास स्थित प्रथम self-realization फेलोशिप मंदिर में दिया गया एक प्रवचन 12 मई 1940


 चिंता चेतना की एक मनोवैज्ञानिक अवस्था है जिसमें आप किसी ऐसी समस्या के संदर्भ में अ सहायता एवं व्याकुलता की भावनाओं में जकड़े जाते हैं जिसे सुलझा ने का कोई रास्ता आपको नजर नहीं आता। आप शायद अपने बच्चे के विषय में या अपने स्वास्थ्य के विषय में या किसी रेड के भुगतान के विषय में गंभीरता से सोच रहे हैं जब इसका शीघ्र कोई समाधान दृष्टि पत्र में नहीं आता तो आप उस परिस्थिति के विषय में चिंता करने लगते हैं और इससे आपको क्या मिलता है सर दर्द अशांति हृदय विकार क्योंकि आप स्वयं अपना ही या अपनी समस्याओं का विश्लेषण नहीं करते इसलिए आप नहीं समझ पाते कि अपनी भावनाओं को या सामने खड़ी समस्या को कैसे नियंत्रित करें चिंता करने में समय व्यर्थ गंवाने के बजाय समस्या के कारण को कैसे हटाया जाए इस पर सकारात्मक चिंतन कीजिए यदि आपको किसी समस्या से मुक्त होना है तो शांति से अपनी कठिनाई का विश्लेषण कीजिए परिस्थिति के पक्षा पक्ष का विचार कर शुरू से अंत तक 11 मुद्दे को लिखिए फिर सारे मुद्दों को देखते हुए लक्ष्य को पाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं इसे सारा सार विचार कर निश्चित कीजिए।

       आपके पास यदि पैसा ना हो तो आप प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं सारा संसार जैसे पीछे हटता नजर आता है परंतु चिंता इसका कोई समाधान प्रस्तुत नहीं कर सकती मन को चुस्त कीजिए और दृढ़ता से मन में यह द्वारा यह मैं अपना हिस्सा पाने के लिए दुनिया को हिला कर रख दूंगा। मुझे शांत रखने के लिए संसार को मेरी आवश्यकता की पूर्ति करनी ही होगी जिस किसी ने भी कुछ भी काम किया हो चाहे वह घास पात उखाड़ना ही क्यों ना हो उसने इस पृथ्वी पर कुछ ना कुछ उपयुक्त काम किया ही है तो फिर उसे इस पृथ्वी के उपहारों में अपना न्याय सम्मत हिस्सा क्यों न मिले किसी को भी भूखा रहने की या वंचित रह जाने की आवश्यकता नहीं है।
     पैसे का मह समाप्त हो जाएगा यह मैं जो कह रहा हूं इसे याद रखिए पैसा सत्ता की लालसा पैदा करता है और किराया व अपने स्वामी को दूसरों के दुखों के प्रति हृदय सुन बना देता है धन संग्रह ठीक है यदि उसी धनवान के मन में दूसरों की आवश्यकता अनुसार सहायता करने की इच्छा हो निस्वार्थ लोगों के पास पैसा रहना एक वरदान है परंतु स्वार्थी लोगों के पास उसका होना एक अभिशाप है मैं फिलाडेल्फिया अमेरिका के एक आदमी को जानता था जिसके पास 1 करोड डॉलर की संपत्ति थी परंतु वह संपत्ति ने उसे कभी भी कोई सुख नहीं दिया केवल दुख ही दुख दिए वह किसी को कभी 10 सेंट मूल्य की कॉपी भी नहीं पिलाता था सोना हमें उपयोग करने के लिए दिया गया है परंतु वह ईश्वर के सिवा और किसी का नहीं है ईश्वर की प्रत्येक संतान को ईश्वर के सोने का उपयोग करने का अधिकार है आपको अपनी विफलता को स्वीकार कर अपना अधिकार नहीं छोड़ देना चाहिए।

सफलता या विफलता आपके अपने मन में ही तय की जाती है

       ईश्वर ने आपको अपना पुत्र बनाया आपने अपने आप को भिखारी बना लिया यदि आपने अपने मन में यह स्वीकार कर लिया है कि आप एक असहाय दुर्लभ जीव हैं और आप सबको है बात अपने मन पर अंकित करने देते हैं कि आप को रोजगार नहीं मिल सकता तो आपने अपने ही मन में स्वयं अपने विरुद्ध निर्णय दे दिया है कि आपके लिए कोई आशा नहीं है भगवान या भाग का कोई निर्णय नहीं बल्कि आपका अपना निर्णय आपको दरिद्र और चिंतित बनाकर रखता है सफलता या विफलता आपके मन में ही तय की जाती है सारा समाज भी कहता हूं कि आपको काम नहीं मिल सकता और यदि आप खुश ईश्वर प्रदत्त इच्छाशक्ति के साथ इस दृढ़ निश्चय को बनाए रखें कि आपको कठिनाइयों में यातना भोगने के लिए छोड़ नहीं दिया जा सकता तो आप एक गुड दिव्य शक्ति को अपने में जागते हुए पाएंगे और आप देखेंगे कि उस दृढ़ निश्चय की की आकर्षण कारी शक्तियां आपके लिए नए रास्ते खोल देंगे अपने वर्तमान अवस्था का दुख मत कीजिए और चिंता करना छोड़ दीजिए यदि अब आपने चिंता करना छोड़ दिया और उचित प्रयास किया तो आप शांत रहेंगे और अपने लक्ष्य पर पहुंचने का कोई ना कोई रास्ता ढूंढ ही लेंगे।
        इस बात को सदा याद रखिए कि प्रत्येक बार जब आप चिंता करते हैं तब आप मानसिक ब्रेक लगा देते हैं और उस ब्रेक की प्रतिरोधक शक्ति के विरुद्ध संघर्ष करने में आप अपने हृदय एवं मस्तिष्क पर दबाव डालते हैं। आप अपनी कार ब्रेक लगाकर चलाने का प्रयास नहीं करते क्योंकि आप जानते हैं कि इससे कार की अंतरावली को गंभीर हम पहुंचेगी चिंता आपके प्रयास रूपी पहियों पर लगा हुआ ब्रेक है वह आपको आगे सरकने नहीं देती यदि आप किसी बात को असंभव ना माने तो कुछ भी असंभव नहीं चिंता यह बात आपके मन में उतार सकती है कि आप जो करना चाहते हैं वह संभव है या असम्भव है।
       चिंता में समय और शक्ति का अपव्यय मातृभाषा है इसके बजाय अपने मन को कुछ ठोस प्रयास करने में लगाइए आलसी मनुष्य से तो प्रयास करके कुछ प्राप्त करने वाला भौतिकवादी मनुष्य बेहतर है आलसी को मानव और भगवान दोनों ही त्याग देते हैं उद्यमी लोगों ने समृद्धि प्राप्त की है परंतु पैसे को अपनी सफलता का मापदंड मत बनाइए राया पैसा नहीं बल्कि उस पैसे को कमाने में जिस सृजनात्मक क्षमता का उपयोग किया गया वह क्षमता संतोष प्रदान करती है चिंताओं से भागना मूर्खता है क्योंकि आप जहां भी जाएंगे वही आपकी चिंताएं आपके साथ जाएंगे आपको अपनी समस्याओं का सामना निर्भयता से और अपने अंतःकरण को साफ रखते हुए करना सीखना चाहिए जैसे मैंने किया अब मैं अपने शरीर और आत्मा के लिए कोई प्रार्थना नहीं करता क्योंकि मैंने भगवान से सारस्वत आश्वासन प्राप्त कर लिया है यह पर्याप्त मेरे लिए प्रार्थना करने का अर्थ होगा संदेह करना मेरा अंतरण साफ है क्योंकि मैंने किसी का कभी कुछ बुरा नहीं किया मैं जानता हूं कि यह सब तरह मैंने किसी का कभी कुछ बुरा नहीं किया कह पाने का अर्थ है पृथ्वी पर सबसे सुखी व्यक्ति होना।
     जब मैं उन सब लोगों के बारे में सोचता हूं जिनकी मुझ में निष्ठा है भावनात्मक अंदर तो के कारण नहीं बल्कि बुद्धि और विवेक के कारण तो मैं अपने को धन्य मानता हूं सभी चीजों में मुझे सच्ची मित्रता सबसे अधिक प्रिय है सबके मित्र बने आपके प्रेम और विश्वास को कुछ लोग छोड़ भी दें तो भी हताश ना हो अपने आदर्शों पर चलते रहिए आप जो है वही हैं यह जीने का एक मात्र सत्य निष्ठा तरीका है सब आपके मित्र नहीं भी बनना चाहे तो भी आपको बदले मैं किसी प्राप्ति की कोई आशा किए बिना सब के प्रति मित्रता पूर्ण व्यवहार करना चाहिए मैं सबका हमदर्द हूं और उन से प्रेम करता हूं परंतु दूसरे किसी से यह अपेक्षा कभी नहीं रखता कि वह मेरा मित्र बने और मेरा हमदर्द बने इस तथ्य के आधार पर मैं अपने आप से और सारे संसार से मैत्रीपूर्ण शांति में रक्त हूं और मेरे लिए कभी चिंता का कोई कारण नहीं होता।
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ग्रहण करने योग्य शिक्षा

 ग्रहण करने योग्य शिक्षा

वह शिक्षा जिसे ग्रहण करने के लिए हम पृथ्वी पर आए हैं




         आपकी सभी निधियों में मैत्री की निधि सबसे मूल्यवान है क्योंकि वह आपके साथ इस जीवन के परे भी जाएगी। आप अपने जितने सच्चे मित्र बनाएं हैं। उन सब से आप मृत्यु का द्वार पार करने के बाद फिर से मिलेंगे क्योंकि सच्चा प्रेम कभी व्यर्थ नहीं जाता दूसरी ओर गिड़ा भी कभी व्यर्थ नहीं जाती आज जब भी आप किसी से गिला करते हैं तब आप उसे अपनी और बार-बार आकर्षित करते हैं जब तक आप उस गढ़ा से मुक्त ना हो जाएं।
       प्रेम यदि पवित्र ना हो तो वह थोड़े समय में ही समाप्त हो जाता है। उन सब प्रेमियों का क्या हुआ जिन्होंने चंद्रमा के शीतल प्रकाश में एक दूसरे का अनंत काल तक साथ देने का वादा व कसमें खाई थी? उनके  कपाल सारी पृथ्वी पर इधर-उधर बिखरे पड़े हैं और चंद्रमा उनमें से अधिकांश के ऊपर हंसता है और कहता है "कैसी बड़ी-बड़ी बातें करते थे यह लोग उनका प्रेम तो अनंत काल तक नहीं रह सका"। परंतु आप जो प्रेम अपने हृदय में अनुभव करते हैं यदि इस संसार का नहीं है संसार एक नहीं है आपने यदि सबके लिए प्रेम पवित्र मित्रता के आधार पर प्राप्त किया है शरीर के आधार पर नहीं आ फिर दूसरों से प्रेम केवल उनकी खातिर करते हैं किसी स्वार्थ लाभ के लिए नहीं तो आपने ईश्वर यद्यपि प्रेम प्राप्त कर लिया है और उसी को आप व्यक्त कर रहे हैं। पति-पत्नी के बीच मायबाप और बच्चे के बीच मित्र मित्र के बीच अपने और अन्य सबके बीच पवित्र प्रेम को विकसित करने की शिक्षा ग्रहण करने के लिए हम सभी पृथ्वी पर आए हैं।

द्वारा श्री श्री परमहंस योगानंद

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