सफलता का नियम
क्या कोई ऐसी शक्ति है जो संपन्नता के गुप्त मार्गों को प्रकट कर सकें और धन के 1 भंडारों को मेरा व्रत कर सके जिन के विषय में हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा? क्या कोई ऐसी शक्ति है जिसके सहारे हमें स्वास्थ्य सुख और अध्यात्मिक ज्ञान मिल सके? भारत के संत और ऋषि शिक्षा देते हैं की ऐसी शक्ति है। उन्होंने ऐसे सत्य सिद्धांतों की क्षमता का प्रदर्शन किया है जो आपके लिए भी उपयोगी होंगे यदि आप उनका उचित परीक्षण करें।
जीवन में सफलता आपकी योग्यता एवं प्रशिक्षण पर ही पूर्णता निर्भर नहीं करती बल्कि जीवन में आने वाले अवसरों का सदुपयोग करने वाले आपके दृढ़ निश्चय पर भी निर्भर करती है। शुभ अवसर जीवन में अनायास नहीं, सृजन करने से आते हैं। मैं सभी अवसर जो आपके मार्ग में आते हैं उन्हें वर्तमान या भूतकाल में आपने स्वयं रचे हैं। क्योंकि आपने उन्हें अर्जित किया है अतः उनसे पूरा परा लाभ उठाइए।
मार्ग की बाधाओं पर विजय प्राप्त करने के लिए यदि आप सभी उपलब्ध वाह साधनों के साथ-साथ अपनी स्वभाविक योग्यताओं का भी उपयोग करते हैं तो आप ईश्वर प्रदत्त और असीमित शक्तियों का विकास करेंगे जो आपके व्यक्तित्व के अंतरतम बलों से प्रभावित होती हैं। आप विचार शक्ति एवं इच्छा शक्ति से संपन्न है। देवीय उपहारों का अधिकतम सदुपयोग करें।
विचार की शक्ति
आप अपनी स्वाभाविक विचारधारा के अनुसार सफलता या असफलता प्रदर्शित करते हैं आपके भीतर कौन से विचार अधिक सशक्त हैं सफलता के विचार या असफलता के विचार?
यदि आप की मानसिक दशा सामान्यता नकारात्मक है तब यदा-कदा आने वाला सकारात्मक विचार सफलता को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। परंतु यदि आपकी विचार कर डाली ठीक है तो भले ही अंधकार आपको घेरता सा लगे, आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।
केवल आप स्वयं ही अपने लिए उत्तरदाई हैं। अंतिम निर्णय के दिन कोई अन्य व्यक्ति आपके कर्मों के लिए उत्तरदाई नहीं होगा। इस संसार में उस क्षेत्र में जहां आप अपने पूर्व क्रमानुसार स्थित हैं आपके कार्य को पूर्ण करने वाला केवल एक व्यक्ति है ' आप स्वयं'। आपके कार्य को सफलता की संज्ञा तभी दी जा सकती है जब किसी ना किसी रूप में उससे जनमानस की सेवा होती हो।
किसी समस्या का मानसिक पुनरावलोकन निरंतर ना करें बीच-बीच में उसे विश्राम दें और वह स्वयं हल होकर उबरने लगेगी परंतु इसका ध्यान रहे कि विश्राम इतना लंबा ना हो जाए कि आपका विवेक खो जाए। बल्कि इन विश्राम के क्षणों का प्रयोग अपनी अंतरात्मा के शांत क्षेत्रों की गहराइयों में उतरने के लिए करें। अपनी आत्मा से 1 रूपों कर आप अपने कार्य के संबंध में सही चिंतन करने के योग्य हो जाएंगे और यदि आप अपने विचारों अथवा कार्यों में भटक गए हैं तो उन्हें पुनर व्यवस्थित किया जा सकता है। आत्मा से एकरूपता का यह देवी शक्ति अभ्यास एवं प्रयास से उपलब्ध की जा सकती है।
इच्छा शक्ति - उत्पादक है
सफल होने के लिए सकारात्मक चिंतन के साथ-साथ आपको अपनी इच्छा शक्ति एवं सतत कार्य से लता का प्रयोग करते रहना चाहिए।
प्रत्येक बाह्य अभिव्यक्ति इच्छाशक्ति का ही परिणाम है, लेकिन इस इच्छा शक्ति का प्रयोग सदैव चेतन रूप से नहीं किया जा सकता है। इच्छा शक्ति यंत्र वक्त और चेतन दोनों रूपों में होती है। आपकी समस्त शक्तियों का स्रोत इच्छा शक्ति ही है इच्छा शक्ति के बिना आप चलना, बात करना, काम करना, चिंतन अथवा अनुभव करना आदि कुछ भी नहीं कर सकते। अतः आप के समस्त कार्यों का स्रोत इच्छाशक्ति ही है।
बिना सोचे विचारे प्रयोग करने पर हमारी इच्छा शक्ति यंत्रवत कहलाती है। संकल्प और प्रयास से युक्त चेतन इच्छाशक्ति एक सजीव सकती है; एक डायनामो है जिसका निर्देशन विवेकपूर्ण ढंग से होना चाहिए जब यंत्रवत इच्छा शक्ति के बदले चेतन इच्छा शक्ति के प्रयोग में आप अपने को प्रशिक्षित करना प्रारंभ करें तब आप इस संबंध में भी आश्वस्त हो लें कि आपकी इच्छा शक्ति का प्रयोग रचनात्मक रूप में हो रहा है ना कि हानिकारक उद्देश्यों के लिए अथवा व्यर्थ के संग्रह हेतु।
क्रियात्मक इच्छाशक्ति के सृजन हेतु जीवन के कुछ ऐसे कार्यों को करने का दृढ़ता पूर्वक निश्चय कीजिए जिनके संबंध में आपका विचार रहा हो कि आप उन्हें नहीं कर सकते। जैसे-जैसे आपका विश्वास दृढ़ होता जाए और आपकी इच्छा शक्ति अधिक क्रियात्मक बन जाए आप और कठिन उपलब्धियों को लक्ष्य बना सकते हैं इस संबंध में निश्चित हो लीजिए कि कार्यों का आपने सही चुनाव किया है फिर असफलता को स्वीकार करने से इंकार कर दीजिए अपनी संपूर्ण इच्छाशक्ति को एक समय में एक ही काम में सिद्धहस्त होने के लिए लगाएं अपनी इच्छा शक्तियों को बिखरने नहीं दें और ना ही नए कार्य को प्रारंभ करने के विचार से किसी कार्य को अधूरा छोड़ें।
यदि आपने अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत बना लिया तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।